Analog Computer और Digital Computer दोनों ही कंप्यूटर के वह भाग हैं जिनका उपयोग गणितीय आकड़ो को देखने एवं समझने के लिए किया जाता है। यह दोनों प्रकार के कंप्यूटर आधुनिकीकरण एवं नवीन तकनीको के कार्यों को समझने में सहायता प्रदान करते हैं।
सामान्य शब्दों में कहें तो ऐसा कंप्यूटर जो प्रोसेस करने के लिए Continuous Signal का उपयोग करता हैं, उसे एनालॉग कंप्यूटर कहते हैं और दूसरी तरफ ऐसा कंप्यूटर जो अपनी प्रोसेस करने में Discrete Signal का उपयोग करते हैं उसे डिजिटल कंप्यूटर कहा जाता हैं।
इन दोनों कम्प्यूटरों का उपयोग स्वास्थ्य, विज्ञान, तकनीकी, खेल आदि क्षेत्रों में किया जाता हैं। नवीन तकनीकों की गुणवत्ता में सुधार करने एवं मनुष्यों को नवीन तकनीकों को समझने एवं उपयोग करने के लिए ही इन कम्प्यूटरों का निर्माण किया गया हैं। तो दोस्तों चलिए अब एक-एक करके समझने का प्रयास करते हैं कि Analog Computer और Digital Computer क्या हैं और दोनों में क्या अंतर हैं?
एनालॉग कंप्यूटर क्या हैं? |What is Analog Computer in Hindi
एनालॉग कंप्यूटर वह कंप्यूटर होते हैं जिसकी भौतिक मात्राएँ परिवर्तनशील होती हैं, अर्थात ऐसे आंकड़े जो कभी स्थिर नहीं रहते। इनके द्वारा दिया गया आउटपुट बदलते रहता हैं। जैसे- द्रव दबाव, यांत्रिक गति, विधुत क्षमता आदि।
सामान्यतः इन कम्प्यूटरों से आउटपुट प्राप्त करने के लिए हमें इन्हें हमेसा इनपुट देने की आवश्यकता नहीं होती। इसके साथ ही इन कम्प्यूटरों के माध्यम से प्राप्त होने वाला आउटपुट सटीक (Accurate) नहीं होता। इस प्रकार के कंप्यूटर अनुमान पद्यति के आधार पर अपना कार्य करते है।
एनालॉग कंप्यूटर का इतिहास |History of Analog Computer
यदि हम एनालॉग कंप्यूटर के इतिहास की बात करें तो प्रारंभिक एनालॉग कम्प्यूटरों का निर्माण किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति करने के लिए किया जाता था। प्रथम Analog Computer का निर्माण 1873 में William Thomson द्वारा किया गया था। जिसको ज्वार की भविष्य गतिविधियों के अनुमान के लिए बनाया गया था।
इसके बाद वर्ष 1898 में A.A Michelson और S.W Stratton ने 80 घटकों वाला एक Harmonic Analyzer का निर्माण किया। 80 घटकों का हर एक घटक साइनसाइडल गति उत्पन्न करने में सक्षम था। इसके बाद वर्ष 1930 में अमेरिकी वैज्ञानिक Vannevar Bush द्वारा Differential Analyzer का निर्माण किया।
इसी के साथ 20 वीं शताब्दी के मध्य में Electronic Analog Computer का विकास हुआ। जिनका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में डेटा को देखने एवं उनमें संशोधन करने के लिए किया जाता हैं।
एनालॉग कंप्यूटर के प्रकार |Types of Analog Computer in Hindi
एनालॉग कम्प्यूटरों को उनके कार्य करने के तरीकों और क्षेत्रों के अनुसार तीन भागों में विभाजित किया गया हैं-
1. Mechanical Analog Computer – इन कम्प्यूटरों का उपयोग सामान्यतः वाहनों की गति, फ्यूल आदि को देखने एवं मोटरों की कार्य क्षमताओं को मापने के लिए किया जाता हैं।
2. Electronic Analog Computer – ऐसे कंप्यूटर जिनका उपयोग विधुत उपकरणों में किया जाता हैं उन्हें इलेक्ट्रॉनिक एनालॉग कंप्यूटर कहा जाता हैं। जैसे- बिजली मीटर आदि।
3. Analog Digital Computer – इनमें ऐसे कम्प्यूटरों को सम्मिलित किया जाता हैं। जिनमें एनालॉग और डिजिटल दोनों प्रकार की विशेषता पायी जाती हैं। जैसे- पेट्रोल पंप में लगी मशीन।
डिजिटल कंप्यूटर क्या हैं? |What is Digital Computer in Hindi
डिजिटल कंप्यूटर वह कंप्यूटर होते हैं जो बाइनरी नंबर सिस्टम या Machine Language की कार्यप्रणाली के आधार पर अपना कार्य करते हैं। जिसका फॉरमेट 0 और 1 होता हैं। जहां 0 OFF और 1 ON को प्रदर्शित करता हैं। इस प्रकार के कम्प्यूटरों की इन भाषाओं को डिकोड करने के लिए Language Processor का उपयोग किया जाता हैं। जैसे – Compiler, Interpreter और Assembler
यह लैंग्वेज प्रोसेसर मशीन लैंग्वेज (0,1) को High Level Language और हाई लेवल लैंग्वेज को मशीन लैंग्वेज में ट्रांसलेट करने में सक्षम होते हैं। डिजिटल कंप्यूटर अपना समस्त कार्य चार आधारों पर पूर्ण करते हैं। Input, Process, Output और Storage

डिजिटल कंप्यूटर का इतिहास |History of Digital Computer
डिजिटल कंप्यूटर के विकास में 1800 के दशक को महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता हैं। जिसमें अंग्रेजी गणितज्ञ George Boole की महत्वपूर्ण भूमिका मानी गयी हैं। सामान्यतः पहला डिजिटल कंप्यूटर वर्ष 1940 के दौरान बनाया गया था। जिसका उपयोग संख्यात्मक गणना के लिए किया जाता था।
जिसके बाद प्रत्येक दशक एवं वर्षों में इनकी कार्य क्षमताओं एवं इनके उपयोग मात्राओं में वृद्धि होते गयी। जिसके फलस्वरूप यह विश्वसनीय एवं सटीक आँकड़े प्रस्तुत करने में सक्षम होते गए। डिजिटल कंप्यूटर सामान्यतः डेटाबेस के आधार पर कार्य करते हैं।
डिजिटल कंप्यूटर के प्रकार |Types of Digital Computer
डिजिटल कम्प्यूटरों को उनकी विशेषताओं के आधार पर 4 भागों में विभाजित किया जाता हैं –
1. Micro-computer – इस प्रकार के कम्प्यूटरों का उपयोग दैनिक कार्यों एवं व्यक्तिगत कार्यों की पूर्ति के लिए किया जाता हैं। इन कम्प्यूटरों की मुख्य विशेषता यह होती हैं कि इनका उपयोग प्रत्येक छोटे-बड़े क्षेत्रों एवं व्यवसायों में किया जाता हैं। इन कम्प्यूटरों के मुख्य उदाहरण हैं – Laptop, Tablet, Smart Phone, Digital Watch, PC (Personal Computer) आदि।
2. Mainframe Computer – यह कंप्यूटर आकार की तुलना में अन्य कम्प्यूटरों से बड़े होते हैं। जिस कारण यह अधिक डिजिटल डेटा को स्टोर करके रख सकते हैं। इन कम्प्यूटरों का मूल्य भी अन्य कम्प्यूटरों की तुलना मे अधिक होता हैं। यह अधिक विश्वसनीय एवं सुरक्षित माने जाते हैं। इस प्रकार के कम्प्यूटरों का उपयोग विशेष क्षेत्रों में ही किया जाता हैं। इस प्रकार के कंप्यूटर के उदाहरण – IBMz 14, IBMz 15 आदि।
3. Mini-computer – इन कम्प्यूटरों को मध्य श्रेणी के कम्प्यूटरों में रखा जाता हैं, अर्थात इन कम्प्यूटरों की कार्य क्षमता उपयोग आदि मामलों में सामान्य होते हैं।
4. Super Computer – इस प्रकार के कंप्यूटर अन्य सभी प्रकार के कम्प्यूटरों की तुलना में तीव्र गति से कार्य करने में सक्षम होते हैं। सामान्यतः इन कम्प्यूटरों का उपयोग बड़े आकड़ो को स्टोर करने एवं प्रदर्शित करने के लिए किया जाता हैं। इस प्रकार के कंप्यूटर के उदाहरण – Summit, Sunway, Tainulight आदि।
एनालॉग और डिजिटल कंप्यूटर में अंतर |Difference Between Analog and Digital Computer in Hindi
एनालॉग और डिजिटल कंप्यूटर में अंतर को हम देखें तो इन दोनों की कार्य क्षमता, विशेषता आदि में विभिन्न प्रकार के अंतर देखने को मिलते हैं। जिन्हें हम निम्न तालिका के माध्यम से देख और समझ सकते हैं –
Analog Computer | Digital Computer |
● एनालॉग कंप्यूटर सटीक डेटा प्रदान करने में असमर्थ होते हैं। | ● डिजिटल कंप्यूटर सटीक डेटा प्रदान करने में सक्षम होता हैं। |
● इन कम्प्यूटरों का मुख्य कार्य तापमान, लंबाई, चौड़ाई आदि को मापना होता हैं। | ● इन कम्प्यूटरों का मुख्य कार्य डेटा को स्टोर करना एवं गणना करना होता हैं। |
● इनसे प्राप्त डेटा में अस्थिरता पायी जाती हैं और यह कम विश्वसनीय होते हैं। | ● इनसे प्राप्त डेटा में स्थिरता पायी जाती हैं और यह एनालॉग की तुलना में अधिक विश्वसनीय होते हैं। |
● इन कम्प्यूटरों का उपयोग करने हेतु विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती हैं। | ● इन कम्प्यूटरों का उपयोग करना आसान होता हैं। जिस कारण इसका उपयोग करने हेतु विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती। |
● एनालॉग कंप्यूटर की प्रोसेस क्षमता कम होती हैं। | ● डिजिटल कंप्यूटर की प्रोसेस क्षमता बहुत अधिक होती हैं। |
● एनालॉग कंप्यूटर वोल्टेज सिग्नल के आधार में परिणाम दिखाते हैं। | ● डिजिटल कंप्यूटर डिस्प्ले स्क्रीन पर परिणाम दिखाते हैं। |
● इसके अंतर्गत बिजली की खपत अधिक मात्रा में होती हैं। | ● इसके अंतर्गत बिजली की खपत कम होती हैं। |
● इन कम्प्यूटरों की Readability कम होती हैं। | ● इन कम्प्यूटरों की Readability अधिक होती हैं। |
● एनालॉग कंप्यूटर का कोई चरण नहीं होता। | ● डिजिटल कंप्यूटर के दो चरण होते हैं- ON और OFF |
● इनकी गणना करने की गति धीमी होती हैं। | ● एनालॉग कम्प्यूटरों की तुलना में इनकी गणना करने की गति अधिक होती हैं। |
निष्कर्ष – Conclusion
डिजिटल और एनालॉग कंप्यूटर, आधुनिक समय के वह विकसित कंप्यूटर हैं जिनका उपयोग शिक्षा, स्वास्थ, विज्ञान, तकनीकी आदि क्षेत्रों में किया जा रहा हैं। इनके उपयोगों से व्यक्ति को मशीन की क्षमताओं और कार्य करने के तरीकों को समझने में आसानी मिली हैं। जहाँ एनालॉग कंप्यूटर के डेटा में अस्थिरता होती हैं तो वहीं डिजिटल कंप्यूटर में अधिक स्थिरता देखने को मिलती हैं।
एनालॉग कंप्यूटर, डिजिटल कंप्यूटर की तुलना में कम विश्वसनीय होते हैं। तो दोस्तों आज आपने जाना कि एनालॉग और डिजिटल कंप्यूटर क्या हैं और दोनों में क्या अंतर हैं? (Difference Between Analog and Digital Computer in Hindi) हम आशा करते हैं कि आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आई हो। इस पोस्ट से संबंधित अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए कमेंट अवश्य करें।
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Apka dhanywad shivering ki apne hamari mehnat ko pehchana
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Harish apk yh feedback prasansniy hain..
Thanks you ❤️ sir apka explain bhuth achaa he 😊🤗
Travati apka sukriyn..